“हौसलों से पंखों को उड़ान मिलती है”
मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं,
जिनके सपनों में जान होती है,
पंखों से कुछ नहीं होता,
हौसलों से उड़ान होती है।
खुदी को कर बुलंद इतना,
कि हर तक़दीर से पहले,
खुदा बंदे से खुद पूछे,
बता तेरी रज़ा क्या है।
जीतने का असली मज़ा तो तब आता है,
जब सब आपके हारने का इंतज़ार करते हैं।
हार मत मानो उन लोगों से,
जो कहते हैं कि तुम नहीं कर सकते,
क्योंकि तुम्हें अपनी क्षमता खुद को दिखानी है।
सपनों की कोई उम्र नहीं होती,
सपनों की कोई सीमा नहीं होती,
उड़ने के लिए पंख नहीं हौसले चाहिए,
हौसलों की कोई हद नहीं होती।
मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं,जो मेहनत करता है।